पिछले एक दशक में देश में आये परिवर्तनों में एक बड़ा परिवर्तन मीडिया में आया बदलाव भी है. अखबार, रेडियो, टीवी और न्यू मीडिया, सब तरफ जबरदस्त उछाल आया है. हिन्दी का सार्वजनिक विमर्श क्षेत्र जितना बड़ा आज है, शायद उतना कभी नहीं था....
टीआरपी और आईआरएस विवादों से एक बार फिर यह साबित हो गया है कि हमारा मीडिया पूरी तरह से पश्चिम का पिछलग्गू है. उसकी अपनी कोई सोच इतने वर्षों में नहीं बन पाई है. यहाँ तक कि हमारे मीडिया पर परोक्ष नियंत्रण भी उन्हीं...
शाहजहांपुर में जिस तरह से जगेन्द्र सिंह नाम के स्वतंत्र पत्रकार की आग लगाकर कथित हत्या की गयी, उसने एक बार फिर भारत को प्रेस-विरोधी देशों की अग्र-पंक्ति में लाकर रख दिया है. रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स की प्रेस फ्रीडम सूची में भारत 180 में...
पत्रकारिता निरंतर अपना चोला बदल रही है. उसके अनेक रूप चलन में हैं. ऊपर से शुरू करें तो अंतर्राष्ट्रीय पत्रकारिता, राष्ट्रीय पत्रकारिता, प्रादेशिक पत्रकारिता, क्षेत्रीय पत्रकारिता, जनपदीय पत्रकारिता, स्थानीय पत्रकारिता, अति स्थानीय पत्रकारिता, सामुदायिक पत्रकारिता और नागरिक पत्रकारिता. सोशल मीडिया उसका एक और रूप...